16 शार्ट स्टोरी लघुकथा = श्रापित हवेली ( जेनर = हॉरर )
लघुकथा
शीर्षक = श्रापित हवेली
जेनर = हॉरर
ये एक काल्पनिक रचना हे इससे वास्तविकता का कोइ लेना देना नही हे। हाँ अलबत्ता इसमें छिपा सन्देश जरूर वास्तविकता को दर्शाता हे
रात के तीन बजे थे । युवराज और उसकी पत्नि युविका अपने कमरे में लेटे थे तभी अचानक घंटे में लगा दौलन टन,,,, टन,,,, टन,, की आवाज़ करता हे । उस सुनसान कमरे में उसकी आवाज़ काफी गूँज रही थी ।
तभी युवराज के पास रखी मेज पर उसका मोबाइल रिंग करता हे ।
"युवराज अपना फ़ोन उठाओ देखो कब से बज रहा हे " युविका ने जमाई लेते हुए पास सो रहे युवराज से कहा
"यार युविका तुम उठा लो और देखो कौन कम्बख्त इतनी रात गए फ़ोन कर रहा हे किया उसे पता नहीं हे लंदन में इस समय रात हो रही हे " युवराज ने कहा और चादर से अपना मुँह ढक लिया
युविका अंगड़ाई लेती हुयी उठी और अपना हाथ युवराज के पास रखी मेज की और बढ़ाती और उसका मोबाइल उठाती और आँखे मलती हुयी देखती तो कुछ चौक सी जाती और युवराज को हिलाते हुए कहती " युव,,,, युव,,, युवराज उठो देखो शायद हिंदुस्तान से किसी का फ़ोन हे ।
युवराज घबरा कर अपने मुँह पर से चादर हटाता और उठ बैठता युविका के हाथ से मोबाइल लेकर " रात के इस पहर ज़रूर काका ने किया होगा "
"अरे वहा तो सुबह हो गयी होगी रात तो यहाँ हे " युविका ने कहा
"अरे हाँ ये तो मेने सोचा ही नहीं, ज़रूर हवेली बिक गयी होगी उसी के लिए फ़ोन किया होगा " युवराज ने फ़ोन उठाया और उठ कर बालकनी की तरफ चला गया ।
"नमस्ते काका जी," युवराज ने कहा
"नमस्ते बेटा, माफ़ी चाहता हूँ तुम्हे इस समय परेशान करने के लिए, वहा तो रात हो रही होगी वो दरअसल बात ही कुछ ऐसी थी " रमन ने कहा ( जो की युवराज की हवेली का केयर टेकर हैं )
"क्या बात हे काका आप बढ़े परेशान से लग रहे हे " युवराज ने कहा
"बेटा बात ही कुछ ऐसी हे , वो जिन लोगो को हमने हवेली देखने के लिए बुलाया था वो कल रात उसमे रुके लेकिन वो लोग भी मारे गए । और अब पुलिस छान बीन कर रही हे । मेने कहा था वो आत्मा वहा किसी को बसने नहीं देगी " रमन ने कहा
"काका ये 21 वी सदी हे भला इस ज़माने में भी किया भूत प्रेत होते हे वो लोग ज़रूर किसी और वजह से मरे होंगे " युवराज ने कहा
"बेटा भले ही आज इंसान ने बहुत तरक्की कर ली हे लेकिन फिर भी आत्मा का अस्तित्व होता हे और ये हवेली तो श्रपित हे इसलिए तो देखो पिछले 6 महीने में तीन लोग मर गए जो हवेली खरीदने आये थे । इसलिए अब पुलिस भी कड़ी कार्यवाही कर रही हे " रमन ने कहा
"छोड़िये काका इन भूत प्रेत को मैं दो दिन बाद खुद आ रहा हूँ इस बार उस हवेली को बेच कर जाऊंगा माँ ने तो कभी जाने नहीं दिया जब से वो मुझे लंदन लायी थी लेकिन अब मैं खुद वहा आकर उस हवेली को बेच कर यहाँ आऊंगा क्यूंकि मुझे यहाँ पैसा बिज़नेस में लगाना हे " युवराज ने कहा
"नहीं बेटा यहाँ आने की गलती मत करना वरना वो आत्मा तुम्हे भी मार देगी तुम्ही तो सूर्यवंशी खानदान के आख़री वारिस बचे हो अगर तुम्हे भी कुछ हो गया तो सूर्यवंशी खानदान का नामो निशान मिट जाएगा " रमन ने कहा
नहीं रमन काका अब मुझे वहा आने से कोइ नहीं रोक सकता आप बस वहा रहने की सारी तैयारी करे हमारी हम आ रहे हे । ये कह कर रमन ने फ़ोन रख दिया
"ब,,, ब,, बेटा मेरी बात तो सुनो " रमन ने कहा लेकिन फ़ोन कट चुका था । हे! प्रभु उसकी रक्षा करना इतिहास दोबारा दोहराने मत देना सूर्यवंशी खानदान के चिराग को हमेशा जलाये रखना । रमन ने कहा
"क्या हुआ युवराज तुम कहा जाने की बात कर रहे हो? " युविका ने पूछा
"युविका हम लोग अपनी पुरानी हवेली जा रहे हे मेरा मतलब हिंदुस्तान जा रहे हे अब उस हवेली को मैं खुद अपने हाथो से बेच कर आऊंगा " युवराज ने कहा
"सच में, ये तो बहुत अच्छी खबर हे लेकिन तुम तो कह रहे थे , कि तुम्हारी माँ ने तुम्हे हिंदुस्तान जाने से मना किया हे तो फिर यूं इस तरह अचानक कैसे" युविका ने पूछा
"जब तक माँ ज़िंदा थी जब तक उनसे किया वायदा भी ज़िंदा था लेकिन अब माँ भी नहीं रही तो उनका वायदा भी तोड़ सकता हूँ इसलिए हम लोग परसो निकल रहे हे कभी कभी कुछ काम ऐसे होते हे जिन्हे अपने आप ही करना होता हे " युवराज ने कहा
"माँ, कितना प्यारा शब्द हे ना" युविका ने कहा
"प्लीज् युविका अब तुम शुरू मत हो जाना और उदास मत होना " युवराज ने कहा
"कैसे उदास ना हूँ 5 साल हो गए हमारी शादी को और अब तक हमारी कोइ औलाद नहीं हुयी मुझे माँ कहने वाला अब तक इस दुनिया में नहीं आया बस इस बात का गम मुझे अंदर ही अंदर खाये जा रहा हे " युविका ने कहा
युवराज ने युविका को अपने सीने से लगाया और कहा " तुम परेशान मत हो देखना एक दिन तुम ज़रूर माँ बनोगी और मैं पिता चलो अब सो जाओ "
युविका सोने का बहाना करके करवट बदल कर लेट गयी और उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे ।
युवराज भी युविका कि हालत देख उदास हो गया ।
दो दिन बाद वो हिंदुस्तान पहुंच गए और वहा से उन्हें एक शाही गाड़ी लेने आयी वो लोग वहा से अपनी हवेली की और जा रहे थे । तभी अचानक मौसम में बदलाव आना शुरू हो गया ।
आसमान काले बादलो से भर गया । तेज हवाएं चलने लगी और साथ ही बिजली कड़कने लगी ।
"ये किया हो रहा हे युवराज अभी तो एयरपोर्ट से निकलते समय मौसम अच्छा था और धूप खिली हुयी थी और अब ये सब किया हे " युविका ने पूछा
"डरो नहीं यहाँ का मौसम पल भर में बदल जाता हे " युवराज ने कहा
ड्राइवर गाड़ी चला रहा था तभी सामने से एक बहुत सारी रेत उड़ कर आने लगी जिसे देख वो सब डरने लगे । सामने लगे पेड़ इतनी तेजी के साथ हिल रहे थे की वो बार बार ज़मीन को छू कर वापस ऊपर उठ जा रहे थे ।
वो लोग उस तूफान में धस्ते ही चले गए । थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी एक पेड़ से टकरा गयी । वो लोग उस गाड़ी से बाहर निकले तूफान इतना तेज़ था की वो लोग भी उड़े जा रहे थे तभी उन्होंने देखा की एक लकड़ी टूट कर उनकी तरफ तीर की तरह आयी ।
वो उसे दूर हटे और वो जाकर ड्राइवर के सीने में घुस गयी । ये देख युविका बहुत डर गयी और चीखने चिल्लाने लगी
तभी एक पेड़ झुक कर वहा खड़े युवराज और युविका की तरफ गिरने को हुआ जिसे देख उन दोनों की चीखे निकल गयी चारो और अंधेरा ही अंधेरा छा गया था । तभी एक बूढा सा आदमी हाथ में त्रिशूल लिए उस पेड़ के सामने खड़ा हो गया और कुछ मन्त्र का उच्चारण करने लगा ।
युवराज और युविका उसे ऐसा करते देख रहे थे । तभी उस बूढ़े बाबा ने चीख कर कहा " चली जा यहाँ से वरना मैं तुझे यही अपनी शक्तियों से भस्म कर दूंगा "
ये कह कर उन बाबा ने अपने कमंडल से कुछ ज़ल नुमा निकाला और चारो तरफ छिड़क दिया थोड़ी देर बाद सारे पेड़ जो अब तक ज़मीन से लग लग जा रहे थे और आसमान जो की काला हो चुका था । अब धीरे धीरे सही होने लगा ।
युविका ने उनका धन्यवाद किया और कहा अगर आप ना आते तो ये तूफान हमें मार ही देता।
इससे पहले वो बाबा कुछ कहते तभी युवराज बोला " वो तूफान एक प्राकृतिक तूफान था जो अपने आप आया और अपने आप रुक गया इसमें इस ढोंगी बाबा का कुछ हाथ नहीं ये लोग तो सिर्फ लोगो को भ्रमित करते हे और अन्धविश्वास को बढ़ावा देते हे "
वो बाबा उसकी बात पर मुस्कुराये और बोले " शहर के मालूम पड़ते हो "
"जी बाबा हम लोग अभी अभी परदेस से आ रहे हे लेकिन तभी अचानक इस तूफान ने हमें घेर लिया अगर आप ना होते तो ना जाने किया अनर्थ हो जाता पता नहीं हम जीवित भी रहते या नहीं " युविका ने कहा
"कोइ भी मनुष्य अपनी मौत आने से पहले इस दुनिया से रुक्सत नहीं हो सकता तुम्हारी मृत्यु अभी आना नहीं लिखी थी इसलिए तुम बच गए । लेकिन वो दोबारा वार करेगी बच कर रहना , वो बदला जरूर लेगी ये तो उसके केहर का सिर्फ नमूना था " उस बाबा ने कहा
युविका थोड़ा डरी तभी युवराज ने कहा " ए बाबा अब निकल यहाँ से बेवजह मेरी पत्नि को ऊल जलूल बाते बता कर उसे डरा मत जा अब यहाँ से "
जा रहा हूँ बेटा लेकिन एक दिन तुम मेरी तलाश करते हुए ज़रूर मेरे पास आओगे जब तक के लिए जय शिव शम्बू कहता हुआ वो बाबा चला गया ।
तुम बेवजह डरो मत युविका इन लोगो का तो काम ही हम लोगो को डरा कर अपनी दुकान चलाना हे
तभी उन्हें किसी के कराहने की आवाज़ आयी वो दोनों ड्राइवर की तरफ भागे और कहा " तुम घबराओं मत हम तुम्हे बचा लेंगे " ये कह कर वो उसे अस्पताल ले गए जब तक रमन भी आ गया था उसने सब कुछ रमन को बताया ।
रमन समझ गया था ये सब कुछ उस आत्मा का काम हे ।
थोड़ी देर बाद वो हवेली आ गए रमन ने उन लोगो से उस हवेली में रात बिताने से मना किया किन्तु युवराज नहीं माना और वो वही रुक गया ।
वो हवेली बहुत डरावनी थी युविका को ऐसा लग रहा था मानो वो कही हॉरर फ़िल्म की शूटिंग वाली जगह आ गयी हो.
चारो तरफ राजा महाराजा की तस्वीर दीवार पर लगी । बारहसीनघा और हिरन की खोपड़िया उस हवेली को और भयानक बना रहे थे ।
शाम होने लगी थी । तभी युवराज ने युविका को रोमांटिक अंदाज में पकड़ा और कहा कितनी रोमांटिक जगह है ना चारो और सन्नाटा ही सन्नाटा।
"क्या खूब रोमांटिक जगह है खौफनाक लग रही है मुझे तो और तुम्हारी थकान बहुत जल्द उतर गयी " युविका ने कहा
तुम्हे इस तरह देख कर तो में अपनी थकान भूल ही जाता हूँ, आज कितने दिनों बाद हम इतने करीब आये है वरना लंदन में तो तुम अपने ऑफिस चली जाती थी और मैं अपने दफ़्तर और रात को आकर फिर मोबाइल और लैपटॉप में अपना सर खपा देते थे । बहुत ही बोरिंग लाइफ थी वहा की चलो इस हवेली को बेचने के बहाने से हम दोनों को थोड़ा बहुत अकेले समय बिताने का समय तो मिला।
आज की रात हम दोनों के नाम ये कह कर युवराज युविका की साड़ी पकड़ कर उसे अपनी और खींचता है । युविका भी उसकी और खींची चली गयी वो भी उस मदहोश करदेने वाले वातावरण में खुद को युवराज के हवाले सोप देना चाहती थी जब धीमी धीमी हवा खिड़कियों से बह कर आ रही थी ।
युविका युवराज के बिलकुल नजदीक आ पहुंची तभी अचानक उसे युवराज के पीछे एक साया नज़र आया जिसे देख उसने युवराज को ज़ोर से धक्का दिया।
युवराज ऐसा करता देख युविका से चीख कर बोला " ये किया बदतमीज़ी थी मुझे नजदीक बुला कर धक्का क्यू दिया "
युविका के चेहरे के हाव भाव ही बदल गए और वो घबराते हुए लड़खड़ाती जुबान में बोली " वो वहा तुम्हारे पीछे एक साया था मेने खुद अपनी आँखों से देखा था उसने मुझे अपनी भयानक आँखे दिखाई जब मैं तुम्हारे नजदीक आ रही थी "
ओह, युविका तुमने सुबह वाले हुए हादसे को और उस ढोंगी बाबा की बातो को कुछ ज्यादा ही अपने दिलो दिमाग़ पर हावी कर लिया है और अब तुम्हे इस हवेली में भी भूत नज़र आ रहे है come on yuvika you are matured now, we are living in 21 st centuary। अब इस ज़माने में ये भूत , प्रेत आत्मा वगेरा की बाते अब हम लोगो पर शोभा नहीं देती चलो मैं तुम्हे कमरे में ले चलु तुम्हे ये सब थकान की वजह से हो रहा है । एक अच्छी नींद सब ठीक कर देगी।
युवराज उसे गोद में उठा कर उसे कमरे में ले जाने लगा । युवीका बहुत ज्यादा ही डरी हुयी थी उसने उस रात कमरे की लाइट भी बंद नहीं की लेकिन फिर भी वो थर थर कांप रही थी ।
अगली सुबह युवराज को ऐसा लगा की उसके उपर कोइ पानी डाल रहा है । उसने अपनी आँख खोली तो देखा उसके सामने बाल खोली एक औरत खड़ी थी जिसे देख वो डर गया ।
तब युवीका बोली " क्यू अब डर लगा ना "
युवीका की बच्ची मुझे डराती है आज तुझे छोडूंगा नहीं ये कह कर युवराज युवीका की तरफ दौड़ा और उसे पकड़ लिया एक बार फिर वो दोनों एक दूसरे के नजदीक आ रहे थे और आँखों में आँखे डाल बस एक दूसरे को ही देख रहे थे। तभी अचानक उनका दरवाज़ा खुला इस बार वो दोनों ही डर गए ।
. सामने एक 20,22 साल की लड़की खड़ी थी उन्हें इस तरह एक दूसरे के नजदीक खड़ा देख उसने अपनी आँखे बंद कर ली।
युवीका और युवराज भी उसे देख घबराते हुए दूर दूर हो गए ।
"त,,,, त,,,,, त,,, तुम तुम कौन हो, और यहाँ इस समय हवेली में किया कर रही हो " युवराज ने घबराते हुए पूछा
मैं,,, मैं,,, मेरा नाम धनिया है और मैं रमन काका की बेटी हूँ, आप लोगो से नाश्ते का पूछने आयी थी दरवाज़ा खुला था तो सोचा अंदर चली आउ लेकिन नहीं पता था की यहां,,,,,, मेने कुछ नहीं देखा ।
युवीका शरमाते हुए मुस्कुराई और धनिया के पास गयी और बोली " बहुत प्यारा नाम है तुम्हारा किसने रखा था तुम जाओ हम लोग अभी आ रहे है नाश्ते के लिए "
मेरा नाम मेरी माँ ने रखा था जो अब नहीं है इस दुनिया मेरे बाबा ही अब सब कुछ है मेरे। आप लोग आराम से आ जाए मैं नीचे ही हूँ आपका इंतज़ार करूंगी ये कह कर धनिया चली जाती है ।
युवराज दोबारा युवीका के नजदीक आता और कहता " कल तुम्हारे अंदर के उस वहम ने सारा मज़ा ख़राब कर दिया और अब इस धनिया ने और लंदन में काम ने पता नहीं कौन सा वो दिन होगा जब कोइ हम दो पंछियो को तंग नहीं करेगा "
युवीका उससे अपना साड़ी का पल्लू छुड़ा कर भागते हुए बोली " नहा कर नीचे आ जाइये वरना इस चिरोटे को नाश्ता नहीं दिया जाएगा "
पागल कही की, ये कह कर युवराज नहाने चला गया ।
उसके बाद वो नाश्ता करके रमन काका के साथ ब्रोकर के पास चला गया । धनिया भी अपने घर चली गयी .
अब सिर्फ उस हवेली में युवीका ही बची थी । वो उस हवेली को निहार रही थी । तभी उसे कुछ बजने की आवाज़ आयी जो की पायल जैसी थी ।जो उपर से आ रही थी ।
"कौन है इस हवेली में? " युवीका ने कहा और धीरे धीरे वो सीड़ियों से उपर की और चल दी तभी वो एक कमरे में गयी जहाँ बहुत सारा कबाड़ था।
उसे ऐसा लग रहा था मानो कोइ उसके पीछे आ रहा है। वो पीछे मुड़ी तो वहा कोइ नहीं था । वो और अंदर घुसती चली गयी । एक साया उसके पीछे चल रहा था जैसे ही वो उसके सामने आने को हुआ तभी नीचे धनिया आ गयी और उसने उसे आवाज़ दी " भाभी सा किधर हो "
युवीका ने कहा " धनिया मैं उपर हूँ तुम भी इधर आ जाओ मैं इस कबाड़ वाले कमरे में हूँ "
ये सुन धनिया दौड़ती हुयी उपर गयी और उसका हाथ खींच कर बाहर लायी और उस कमरे को बंद करते हुए बोली " भाभी सा इस कमरे में मत जाना आज के बाद चाहे केसी भी आवाज़े क्यू ना आये "
युवीका ने उससे पूछा " आखिर क्यू ऐसा किया है उस कमरे में "
धनिया ने बात काट दी और कहा देखे मैं आपके लिए मेहंदी के कोन लायी हूँ आपके मेहंदी लगाती हूँ ताकि युवराज भैया आपके हाथ में लगी मेहंदी को देख आप पर मोहित हो जाए।
युवीका मेहंदी देख खुश हो गयी और अपने हाथो पर मेहंदी लगवा ली और भूल गयी उस कमरे के बारे में पूछना ।
युवराज रमन काका के साथ अपनी ज़मीनो और कई ब्रोकरो से मिला लेकिन सब ने उस हवेली को बिकवाने से मना कर दिया और कहा वो शपित हवेली है उसे जो भी खरीदे गा मर जाएगा। वो आत्मा जब तक अपना बदला नहीं ले लेती शांत नहीं बैठेगी ।
युवराज ने सब कुछ झूठ समझा । उसने रमन काका से पूछा " लेकिन उन्हें भी कुछ नहीं पता सिवाय उस रात के जब उसकी माँ उसे लेकर लंदन भाग गयी थी और अगले दिन हवेली से सिर्फ लाशें ही लाशें मिली थी बस दो लोगो को छोड़ कर "
"कौन दो लोग काका " युवराज ने पूछा
"कोइ ज्यादा खास नहीं थे वो लोग घर के नौकरो में से थे " रमन ने कहा
अच्छा, युवराज ने कहा।
चले काका घर चलते है कोचवान से कहे घोड़ो को हवेली की तरफ ले चले थोड़ी देर में शाम हो जाएगी।
थोड़ी देर बाद वो हवेली आ पंहुचा जहाँ, युवीका सोलाह श्रृंगार किए हुए युवराज का इंतज़ार कर रही थी । चारो और अंधेरा था सिर्फ दीपक ज़ल रहे थे ।
युवराज परेशान हो गया अंधेरा देख कर और दीपक की रौशनी में चलता हुआ वो युवीका के पास आ गया जहाँ वो हाथो पर मेहंदी लगाए बैठी थी सिर्फ उसके लिए । युवराज उसे इस तरह देख बेहद खुश हुआ और उसके नजदीक आकर उसके हाथो को अपनी हथेली पर रख कर उसके हाथ में लगी मेहंदी में अपना नाम ढूंढा और उसे अपने होठो से लगा कर अपने गाल से लगा कर बोला " युवीका मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ मुझे कभी छोड़ कर मत जाना अगर कभी मौत भी आये तो मैं पहले जाना पसंद करूंगा क्यूंकि मैं तुम्हारी जुदाई बर्दाश नहीं कर सकता "
युवीका उसके होठो पर अपनी ऊँगली लगा कर बोली " ऐसी बात दोबारा मत करना अगर आप को कुछ हो गया तो मैं भी मर जाउंगी क्यूंकि हमारा साथ दो हंसो के जोड़े जैसा है एक के बिना दूसरे का कोइ अस्तित्व नहीं "
युवीका के मुँह से इस तरह बाते सुन युवराज उस रात युवीका के करीब आने से खुद को रोक ना सका युवीका भी उस मदहोश रात में खुद को युवराज का होने से रोक ना सकी ।
अगली सुबह वो दोनों बेहद खुश थे । दोनों ने साथ में नाश्ता किया फिर युवराज उसे गांव घुमाने ले गया उन्होंने घुड़सवारी की। ऊँट पर बैठे और भी ना जाने किया कुछ किया उन्होंने उस दिन। इसी तरह कुछ हफ्ते गुज़र गए दोनों को उस हवेली में कोइ भूत नहीं दिखा । क्यूंकि जो मेहंदी युवीका के हाथ में लगी थी वो धनिया अपने घर में बने मंदिर से उठा कर लायी थी शायद यही वजह थी की उन दोनों के नजदीक आने पर कुछ ऐसा वैसा नहीं हुआ ना तो युवीका को कोइ आत्मा दिखी और ना ही साया।
युवीका भी उन सब को अपने सफर की थकान और उस दिन हुए हादसे की वजह समझ कर भूल गयी थी ।
लेकिन कुछ हफ्तों बाद जब उसकी मेहंदी उतर गयी और वो उस हवेली में तन्हा थी । उसे फिर वही पायल की आवाज़ सुनाई दी और वो उसका पीछा करते हुए उस कमरे तक जा पहुंची ।
लेकिन अब उसके पीछे फिरने वाला साया उसे नुकसान पहुँचाना चाहता था इसलिए वो जैसे ही कमरे में घुसी दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया । वहा से पायल की आवाज़ आना और तेज़ हो गयी वहा रखी सारी चीज़े अपने आप हवा में उड़ने लगी ।
ये सब देख युवीका घबरा गयी और बाहर की तरफ भागी तभी उसके सामने एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ एक काला साया उसके सामने आकर खड़ा हुआ और बोला " तेरी मौत तुझे यहाँ लेकर आयी है अब तू मेरा बदला लेगी, मेरा बरसो का इंतज़ार अब तू ख़त्म करेगी "
ये कह कर वो साया जैसे ही उसके नजदीक आया युवीका की चीख निकल गयी और उस साये को एक झटका लगा । युवीका बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गयी ।
और जब उसकी आँख खुली तो वो अस्पताल में थी । युवराज ने उससे पूछा " कि वो उस कमरे में किया कर रही थी "
युवीका को कुछ याद नहीं था चाह कर भी वो याद नहीं कर पा रही थी ।
तभी डॉक्टर वहा आता और कहता " आप दोनों को मुबारक हो अब ऐसे चक्कर आप को आते है रहेंगे मिस युवीका युवराज "
"जी डॉक्टर साहब हम कुछ समझें नहीं " दोनों ने पूछा
"सरल भाषा में ये कि आप माँ बनने वाली है और इसी वजह से आप बेहोश हो गयी थी " डॉक्टर ने कहा
ये सुन युवराज और युवीका कि ख़ुशी का ठिकाना ना रहा दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया और मुबारक बाद दी। युवीका पिछले 5 साल से इस खुशखबरी को सुनने का इंतज़ार कर रही थी ।
वो दोनों घर आ गए युवराज उसके आगे पीछे फिरता कभी जूस, तो कभी फल तो कभी दवाये लेकर ।
लेकिन उनकी ये ख़ुशी कुछ अरसे के लिए ही थी । एक रात जब युवीका सो रही थी उसे अचानक एक दर्दनाक दर्द उसके पेट में उठा उसे ऐसा लगा की वो मर जाएगी। उसे ऐसा लग रहा था की कोइ उसके पेट को मरोड़ रहा है ।
जब तक डॉक्टर के पास पहुचे बहुत देर हो चुकी थी बच्चा पेट में मर चुका था । डॉक्टर ने युवराज को बुलाया और एक रिपोर्ट दिखाते हुए बोला " युवराज साहब मेरी अब तक की डॉक्टर लाइफ में मेने बहुत से ऐसे केस देखे है जिनमे बच्चा माँ के पेट में किसी कारण वश मर जाता है लेकिन आपका केस थोड़ा अलग है , ये देखिये उस रात का X -ray जब युवीका को यहाँ लाया गया था । ये आपका बच्चा है जो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोइ है जिसने उसे बुरी तरह से अपने हाथो से पकड़ रखा है और मरोड़ रहा है पेट के अंदर "
और युवीका भी बता रही थी कि उसे ऐसा लग रहा है कि कोइ उसके पेट को मरोड़ रहा है । मुझे लगता है किसी आत्मा ने आपके बच्चे को पेट में ही मार दिया
"What nonsense, ये किस तरह की बेहूदा बाते कर रहे है आप डॉक्टर साहब , आप तो पड़े लिखें है उसके बावज़ूद भी ऐसी बाते कर रहे है। क्या आप भी भूत प्रेत में विश्वास रखते है " युवराज ने कहा
"कभी कभी कुछ ऐसी घटनाये होती है जो इंसान को भूत प्रेत में विश्वास करने पर मजबूर कर देती है जैसा की अब ये आपका केस । जिसमे आपके बच्चे को किसी आत्मा ने पेट में ही मार दिया जब वो कमज़ोर था क्यूंकि उसकी माँ उस समय सो रही थी ।" डॉक्टर ने कहा
युवीका उदास थी । वो दोनों घर आ चुके थे युवराज उसे अकेला नहीं छोड़ रहा था । लेकिन एक शाम उसे ज़रूरी काम से कही बाहर जाना पड़ा । तब युवीका घर में अकेली थी उसे फिर वही उस कमरे से आवाज़ आयी और वो उस कमरे में चली गयी।
फिर उसे आभास हुआ की कोइ उसके पीछे है जैसे ही वो मुड़ी वहा कोइ नही था । वो धीरे धीरे डरती डरती उस आवाज़ के पीछे गयी । तभी अचानक एक साया उसके सामने आकर खड़ा हो गया ।
जिसे देख युवीका डर गयी और वहा से भागने लगी और बोली " कौन हो तुम और इस घर में किया कर रही हो मेरे बच्चे को भी तुमने ही मारा इतनी बुरी तरह से "
ये सुन वो साया ज़ोर ज़ोर से हसने लगा । उसकी हसीं पूरे कमरे में गूँजने लगी । युवीका ने अपने कानो पर हाथ रख कर कहा " चुप हो जाओ मत हसो "
तभी वहा एक दम सन्नाटा छा गया । युवीका ने अपने कानो पर से हाथ हटाया तभी उसकी आँखों के सामने वही चेहरा आ गया जो उस रात युवराज के पीछे था । युवीका ज़ोर से चीखी और वो साया उसके मुँह से उसके शरीर में घुस गया और वो बेहोश हो गयी ।
उसकी आवाज़ नीचे खड़े युवराज ने सुनी तो वो दौड़ा चला आया ।
"आवाज़ उस कमरे से आ रही है " ये कह कर उस कमरे की और गया तो देखा युवीका बेहोश थी वो उसे उठा कर बिस्तर पर ले आया ।
उसे थोड़ा होश आया डॉक्टर ने दवाई दी वो फिर सो गयी ।करीब रात के दो बजे युवीका उठी उसकी आँखे लाल थी उसके बाल खुले थे वो युवराज को देख रही थी और उसने अपने हाथ उसके गले पर रख दिए ।
अपना गला घुटते देख युवराज की नींद खुल गयी । युवीका किसी के वश में थी और कह रही थी " मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगी इस खानदान का वंश मिटा कर रहूंगी "
युवराज ने बहुत कोशिश के बाद उससे अपना गला छूटाया और वहा से भाग कर रमन काका के घर गया और बोला " क,,,, क,,,, कक,,, काका वो युवीका उसे कुछ हो गया मुझे मारने की कोशिश कर रही थी और उसकी आवाज़ भी बदल चुकी है "
रमन ये सुन कर हाथ में माला लेकर हवेली पंहुचा और उस कमरे में लेकिन युवीका तो बेहोश पड़ी थी ।
अगली सुबह उसे डॉक्टर देखने आया । तभी वो आत्मा जाग गयी और उसने कहा " मैं तुझे ज़िंदा नही छोडूंगी युवराज तेरा मेने बरसो इंतज़ार किया है अब मैं तुझे मार कर रहूंगी "ये कह कर वो बेहोश हो गयी ।
युवराज ने डॉक्टर से पूछा कि ये उसे किया हो रहा। तभी डॉक्टर ने कहा ये multiple disorder है इसमें इंसान गहरे सदमे की वजह से किसी और की जिंदगी ज़ीने लगता है ।
"नही डॉक्टर ये कोइ बीमारी नही बल्कि युवीका बेटी उस आत्मा की पकड़ में है जो बरसो से इस घर में रह रही है । जो किसी को भी इस हवेली में रुकने नही देती हमें इसे किसी बाबा को दिखाना होगा " रमन काका ने कहा
नही मैं नही मानता किसी आत्मा वात्मा में, डॉक्टर साहब आप को जो इलाज करना है वो कीजिये और हम लोग दो दिन बाद यहाँ से चले जाएंगे हवेली बाद को बिक जाएगी मुझे बस मेरी युवीका पहले जैसी हो जाए। युवराज ने कहा।
डॉक्टर ने कुछ इंजेक्शन दिए और उन्हें आराम करने का कहा।
युवराज उसके पास बैठा उसका सर सेहलाता रहा । युवीका को होश आया और वो बोली " मैं कहा हूँ मुझे किया हुआ है "
"मेरी जान तुम ठीक हो बस थोड़ा बुखार है तुम्हे तुम घबराओं मत हम लोग दो दिन बाद चले जाएंगे इस हवेली को छोड़ कर " युवराज ने कहा
तभी युवीका ने उसकी तरफ गुस्से से देखा और फिर उसका गला पकड़ कर हवा में अपनी टांगे लेहराते हुए बोली " इतने सालो बाद तो आया है , और ज़िंदा ही वापस लोट कर जाएगा नही बिलकुल नही तेरी मौत मेरे हाथो लिखी है मेरा श्राप है की कोइ भी मर्द या औरत सूर्यवंशी खानदान में नही बचेगी जो उसका वंश आगे बड़ा सके मेने ही तेरे बच्चे को मारा था "
युवराज उससे अपना गला छुड़ाने लगा और ज़ोर से चीखा उसकी आवाज़ सुन रमन दौड़ा चला आया ।
युवीका को इस तरह आसमान में उड़ता देख और युवराज को मरते देख वो उसकी तरफ दौड़ा और अपने हाथ की माला युवराज के गले में डाल दी तब कही युवीका ने उसका गला छोड़ा और वो दोबारा बेहोश हो गयी ।
युवराज ने गहरी गहरी सास ली और रमन काका को गले लगा कर रोने लगा और बोला " मेरी वजह से आज युवीका इस हाल में है मैं जानता था कि इस हवेली में कोइ बुरी शक्ति ज़रूर है लेकिन इसे अच्छे दामों में बेचने की वजह से मेने कभी नही माना लेकिन आज वो आत्मा आज मेरी दुश्मन बन बैठी पहले उसने मेरे बच्चे को मार दिया जो इस दुनिया में आया ही नही और अब उसने मेरी पत्नि को अपने काबू में कर लिया।आप सही कह रहे थे रमन काका मुझे यहाँ नही आना चाहिए था मेने अपने साथ साथ अपनी पत्नि और बच्चे की भी जान खतरे में डाल दी।
वो आत्मा मुझे मारना चाह रही है , तो मैं मरने को तैयार हूँ लेकिन वो हमारा वंश ख़त्म क्यू करना चाह रही है काका, क्या आप कुछ जानते हो इस बारे में "
"नही बेटा मैं खुद नही जानता की आखिर वो किसकी आत्मा है और तुम्हारे खानदान को क्यू मारा उसने " रमन काका ने कहा
"काका मुझे यकीन हो चला की आप सही थे युवीका किसी आत्मा की पकड़ में है तो क्या हम युवीका को उस आत्मा की पकड़ से नही निकाल सकते " युवराज ने कहा
बिलकुल बेटा, हम ज़रूर युवीका बेटी को उस आत्मा की पकड़ से निकाल लेंगे एक अघोरी बाबा है जो पास ही के शिव मंदिर में रहते है सुना है उनसे हर भूत , प्रेत डरते है । मैं तुम्हे उनके पास ले चलूँगा। रमन काका ने कहा
"काका अभी जाना है मुझे , मैं युवीका को इस तरह नही देख सकता " युवराज ने कहा
"बेटा अब तो अंधेरा हो गया है " काका ने कहा
"नही काका आप बस चलिए " युवराज ने कहा और वो दोनों उस शिव मंदिर की और चल दिए ।
वहा पहुंच कर जैसे ही वो उस अघोरी बाबा के पास जाने को हुए वो बोल पड़े " आ गया तू मेने तुझसे कहा था कि तू एक दिन खुद चल कर आएगा अगर उस दिन मेरी बात मान लेता तो आज मेरे पास ना आता "
युवराज समझ गया कि ये कौन है वो रोने लगा और बोला " बाबा मुझे माफ करदो लेकिन मेरी पत्नि को उस आत्मा से बचा लो मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ उसने मेरे बच्चे को मार दिया और अब वो मेरी पत्नि को भी मार देगी और उसके बाद मुझे भी ताकि सूर्यवंशी खानदान कभी आगे ना बढ़ सके "
ये सुन वो अघोरी बाबा अपना कमंडल लिए और हाथ में तिरशूल लिए उसके साथ चल दिए ।
घर आकर उन्होंने युवीका के चेहरे पर शमशान घाट कि राख लगायी जिसके लगते ही उसके अंदर की आत्मा बेचैन हो उठी और युवीका उठ बैठी ।
"छोड़ दे मुझे अघोरी उस दिन तो तूने इन्हे बचा लिया था लेकिन अब नही " युवीका की आत्मा ने कहा
बता तू कौन है और क्यू इनका वंश ख़त्म करने पर तुली है बाबा ने कहा
तभी युवीका थोड़ी नार्मल हुयी और उसकी आवाज़ एक बच्ची जैसी निकली जिसने कहा " काका मैं आ गयी "
रमन ये आवाज़ सुन बोला " रूही बेटा तुम "
हाँ, काका मैं और मेरी माँ भी यही है ।
"रमन काका, मुझे पहचाना नही आपने मैं आपकी मुँह बोली बेटी शिवन्या ।" युवीका ने कहा
"शिवन्या और रूही बेटा तुम दोनों कहा चली गयी । उस रात जब वो हादसा हुआ तब तुम लोग उससे कुछ हफ्ते पहले कहा चली गयी थी । हमने तुम्हे हर जगह ढूंढा पर तुम कही नही मिली " रमन काका ने कहा ।
युवीका युवराज की तरफ गुस्से से देख कर बोली इसकी माँ ने हम दोनों माँ बेटी को मार दिया ताकि ये पैदा हो सके ।
काका आप तो जानते थे की इनके खानदान की परंपरा थी की अगर औरत बेटा नही जनेगी तब उसे उस बेटी के साथ जो उसने जनी होगी उसी के साथ उसका क़त्ल करवा दिया जाएगा।
जब इसकी माँ, माँ बनने वाली थी तब उसे भी इस चीज का पता चला और वो डर गयी की कही उसने भी अगर बेटी जनी और उसे भी क़त्ल करवा दिया गया तो।
इसलिए उसने एक तांत्रिक की मदद से बेटा जनना चाहा जिसके लिए उसे एक बच्ची की बली चढ़ाना थी । मेने उसे समझाया की ये गलत है और प्रकृति के खिलाफ है कभी किसी लड़की की बली चढ़ा कर बेटा पैदा नही किया जा सकता ये सब तो ईश्वर को पता होता है ।
लेकिन उसने एक ना सुनी। और मेरी ही बेटी को अपना शिकार बनाने चली और उसे बेहला फुसला कर उस तांत्रिक के पास ले गयी जब मुझे पता चला तो मैं दौड़ी हुयी उसके पास गयी ।
लेकिन जब तक देर हो गयी थी । मेरी बेटी का सर उसके धड से अलग कर दिया था इसकी माँ ने अपने आप को बचाने के खातिर ।
मैं वहा से भागी ताकि राजा साहब को बताऊ की उनकी पत्नि ने किया किया है । लेकिन मुझे उन लोगो ने पकड़ लिया और मार दिया तब मेने इसे श्राप दिया की उसके वंश को जब तक ख़त्म नही कर दूँगी तब तक मेरी आत्मा परमात्मा से नही मिलेगी।
कुछ दिन बाद उसे बेटा हुआ तब उस रात मेने उसहवेली में उपस्थित सब लोगो को मार दिया लेकिन इसकी माँ इसे लेकर भाग निकली।
और मैं जब से इसके लौटने का इंतज़ार कर रही हूँ। और अब मैं इसे मार कर रहूंगी ।
और जो कोइ भी मेरे रास्ते में आएगा मारा जाएगा।
ये कह कर युवीका बेहोश हो गयी ।
बाबा अब तो हमें पता चल गया ना की कौन है इसके पीछे तो अब आप किया करेंगे । रमन ने कहा
"मेरी वजह से, सिर्फ और सिर्फ एक बेटे की चाहत में मेरी माँ ने सब की जान दांव पर लगा दी यहाँ तक की उस मासूम रूही की भी ।
उसके खून में मेरी माँ ने अपने हाथ रंगे और मेरे भी हाथ उस मासूम के खून से रंगे है क्यूंकि मुझे पैदा करने के लिए ही मेरी माँ ने ये कदम उठाया था ।" युवराज ने कहा
"नही बेटा रो मत इसमें तुम्हारी कोइ गलती नही है ये दुनिया और ये समाज की गलती है जो समझती है की किसी लड़की की बली चढ़ाने से लड़का पैदा हो जाएगा। तुम्हारी कोइ गलती नही गलती तुम्हारे पूर्वज़ो की थी जिन्होंने ये प्रथा बनायीं की पहली औलाद बेटी होने पर माँ और बेटी दोनों को मार दिया जाता था तुम बेक़सूर हो अब बस युवीका को उस आत्मा से आज़ाद करने की सोचो " रमन काका ने कहा
"आखिर कैसे वो मेरी युवीका की जान बक्शे गी जबकी उसका शिकार तो मैं हूँ जब तक वो हमारा वंश यानी की मुझे नही मार देगी तब तक उसका बदला कैसे पूरा होगा" युवराज ने कहा
"बेटा घबराओं मत इस दुनिया में हर परेशानी का हल है और इसका भी ज़रूर होगा " रमन काका ने कहा
"मिल गया एक उपाय है, अगर हमें शिवन्या और इसकी बेटी की लाश मिल जाए तो उसे आग लगा कर उसकी आत्मा को मुक्त किया जा सकता है " अघोरी बाबा ने कहा
"पर बाबा इन दोनों को मरे हुए तो बहुत साल हो गए और हम नही जानते की उसकी लाश दफनाई भी गयी थी या फिर कही और फेक दी गयी थी उसे मारने के बाद " रमन काका ने कहा
"ये ही बताये गी इसकी बेटी को वश में करना पड़ेगा वही हमें लेकर जाएगी अपनी लाशो के पास " अघोरी बाबा ने कहा
ये कह कर उन्होंने भभूत निकाली और युवीका के चारो और डाल दी। तभी युवीका दर्द से तड़पने लगी और बोली " मैं तुझे अपनी बेटी को ले जाने नही दूँगी "
तभी बाबा ने युवीका का हाथ थामा और उसे बेड से उठाया और कहा " तेरी माँ अब मेरे कब्जे में है अगर उसे आज़ाद देखना चाहती है तो मुझे उस जगह ले चल जहाँ तुम्हे मारा और दफनाया गया था "
"नही बेटा इस अघोरी की बात मत मानना। ये हम दोनों को हमारा इंतेक़ाम लिए बिना है इस दुनिया से मुक्ति दिला देगा " शिवन्या की आत्मा ने कहा
तभी बाबा ने भभूत निकाल कर उसके उपर डाली तब उसकी आत्मा तड़पने लगी ।
रूही जो की युवीका के अंदर थी बोली " मेरी माँ को छोड़ दो मैं तुम्हे ले चलती हूँ उस जगह "
"युवराज जल्दी से गाड़ी निकालो हमारे पास सिर्फ 30 मिनट है नही तो इस भभूत का असर ख़त्म हो जाएगा और ये आजाद हो जाएगी फिर इससे इसकी बेटी को जुदा करना आसान नही होगा " बाबा ने कहा
तभी वो सब गाड़ी में बैठ कर जंगल की और गए थोड़ी देर बाद वो लोग वहा पहुंच गए। युवीका को एक पेड़ से बांध दिया उन लोगो ने।
युवीका ने वो जगह बताई और युवराज ने वहा खुदाई शुरू करदी । लेकिन तभी मौसम ख़राब हो गया आसमान में बादल गरजने लगे ।
बेटा घबराना मत ये सब वो शिवन्या कर रही है ताकि हम उसे मोक्ष ना दिला सके ।
काफी देर बाद उन दोनों माँ बेटी की लाश निकल आयी जो की एक कंकाल बन चुकी थी । जैसे ही युवराज ने उसमे आग लगाना चाही तभी बारिश आ गयी ।
"हे! भगवान ये बारिश कहा से आ गयी अब क्या होगा समय भी ख़त्म हो रहा हे सिर्फ चंद मिनट ही बचे हे " युवराज ने घबराते हुए कहा
बेटा गाड़ी में पेट्रोल हे लेकर आओ । रमन काका ने कहा।
युवराज पेट्रोल लेने गाड़ी की तरफ दौड़ा गाड़ी सडक पर खड़ी थी अंदर नही आ सकी थी ।
समय ख़त्म हो चुका था और शिवन्या की आत्मा वहा आ पहुंची जहाँ उसने अघोरी बाबा का सामना किया लेकिन अघोरी बाबा ने उसे युवीका के अंदर घुसने नही दिया।
युवराज के रास्ते में भी उसने बहुत सारी रूकावटे पैदा की ताकि वो पेट्रोल ना ला सके गाड़ी से लेकिन कहते हे ना जब प्यार सच्चा हो और अपने मेहबूब को बचाना हो तो ईश्वर भी साथ देता हे । इतनी अडचनो के बाद भी वो पेट्रोल लाने में सफल हुआ लेकिन।
वहा का नज़ारा बदल चुका था । अघोरी बाबा मारे जा चुके थे और रमन काका जख़्मी थे ।
और युवीका वहा नही थी । शिवन्या उसके अंदर दोबारा प्रवेश कर चुकी थी और अब वो दो गुनी ताकत से युवराज से भिड़ी लेकिन युवराज ने भी उसका डट कर सामना किया।
कई बार उसने युवीका के रोने की आवाज़ निकाल कर उसे बेवक़ूफ़ बनाया और उसके गले पर आकर बैठ गयी ।
उन दोनों में लड़ाई काफी देर चली युवीका जख़्मी हो चुकी थी बहुत ।
युवराज ने जल्दी से सारा पेट्रोल उन कंकालो पर छिड़का इस दौरान भी शिवन्या ने उसे बहुत मारा और जख़्मी कर के ज़मीन पर डाल दिया।
तभी उसने शिवन्या का ध्यान भटकाया और कहा " तू भी मेरी माँ की तरह बन गयी उसने बेटे के खातिर तेरी बेटी को मारा और तूने अपने इंतेक़ाम में अंधी होकर मेरे उस बच्चे को मारा जो अभी इस दुनिया में आया नही था तेरी दुश्मनी मुझसे हे तो तू मुझे मार मासूम और बेगुनाह लोगो को क्यू मार रही हे । तू भी मेरी माँ जैसी हे "
नही मैं तेरी माँ जैसी नही हूँ वो तो एक औरत होकर एक बच्ची की बली देने चली थी ताकि उसके यहाँ बेटा हो जाए और उसकी जान बच जाए वो एक खुदगर्ज़ औरत थी लेकिन मैं नही मेने सिर्फ इंतेक़ाम लिया और अब वो पूरा हो जाएगा तेरी जान लेकर ये कह कर जैसे ही युवीका के अंदर घुसी रूही और शिवन्या की आत्मा ने उसकी तरफ हमला किया। तभी मौका देखकर युवराज ने लाइटर जला कर उन कंकालो की तरफ फेक दिया।
और उन्हें अपनी तरफ आता देख ज़ोर से चीखा और मुँह पर हाथ रख लिया।
लेकिन थोड़ी देर बाद उसने देखा की शिवन्या और रूही की आत्माये युवीका के शरीर को छोड़ कर जा रही थी क्यूंकि उनके कंकाल ज़ल चुके थे ।
रमन काका भी होश में आ गए । युवीका ज़मीन पर बेहोश हो कर गिर गयी ।
आखिर कार उन्होंने युवीका को बचा ही लिया लेकिन वो अघोरी बाबा ना बच सके ।
युवराज और युवीका उसी हवेली में आ गए । युवीका को कुछ याद नही था उसे तो लग रहा था की वो आज ही लंदन से हिंदुस्तान आयी हे ।
कुछ दिन बाद युवीका माँ बन गयी और उसने एक खूबसूरत बच्ची को जन्म दिया।
युवराज ने उसका नाम रूही रखा । युवीका को वो नाम बेहद पसंद आया अब वो हवेली श्राप मुक्त हो चुकी थी ।
समाप्त।
पढ़ने वालो को धन्यवाद पढ़ने के लिए ।
Zakirhusain Abbas Chougule
22-May-2022 12:52 PM
Very nice
Reply
Neelam josi
22-May-2022 12:46 PM
👏👌🙏🏻
Reply
ऋषभ दिव्येन्द्र
22-May-2022 11:03 AM
शानदार जानदार कहानी 👌👌🙏🙏
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